bebaak
- 113 Posts
- 1683 Comments
प्रकम्पित आँख कह जाये दिलों की बात गिर उठ कर
कहूँ जब आप से हमदम ,कहो ,आगे न कुछ कहना |
तुम्हारी इक नज़र पर हर नज़र कुर्बान कर दूँ मैं
न रोको आज भोले मन ,कहीं ,आगे न कुछ कहना |
मचलती कामना रोकूँ ,या रोकूँ, आज अपने को
तड़पते हम यहाँ दिन रात ,फिर ,आगे न कुछ कहना |
सुधा मय आज दुनियां है ,सुधा सुधियाँ नहीं लेती
बिखरता हर घडी हर पल ,सुनों ,आगे न कुछ कहना |
बहुत खोजा तुम्हारी आँख में तस्वीर पहले की
मिला ,झोला ,वही चश्मा ,रुको ,आगे न कुछ कहना ||
———–कृष्ण जी श्रीवास्तव
Read Comments