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सिसकती यादें

bebaak
bebaak
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लिखूं मैं किसके नाम दिले दर्द का ये हाल,
आँखें हैं नम उदास लवों का उड़ा गुलाल ||

आई है याद उनकी मेरे साथ जो चले ,
चलते चले, चले गए दिल में दिए मलाल ||

टूटे दिलों की चांदनी ताने रहे सनम ,
हम दूर से ही देखते उनका रहे ज़माल ||

किलकारियों के शोर में रोना मुहाल था ,
अपने जिगर को आज हमीं कर रहे हलाल ||

वे ” कृष्ण ” वे राधा वहीँ वे खुद वही बने ,
लगता नहीं वे हैं वही पोता जिन्हें गुलाल ||

तनहाइयाँ हमारी तुम्हें दे रहीं दुआ ,
मरना हमें आता नहीं जीना हुआ मुहाल ||

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