- 113 Posts
- 1683 Comments
दादुरा के बोलिया पपिहरा के बैनवा
तोहंका बोलावे दिन रात हो ||
लुक -छिप ,लुक -छिप चंदवा निहारे ला से
ढल -ढल ढलके ले रात हो |
अमंवा के पतवा ,बबुलवा के ठुन्ठवा
महुआ के छूटे नाहीं साथ हो ||१||
दादुरा के बोलिया ————
खेतवा के मेडिया ,इनरवा के दंतिया
रतिया के सिसके ले रात हो |
पुरुवा के बैनवां ,बयनवा के बहरां
थर -थर कांपे मोर गात हो ||२||
दादुरा के बोलिया ———
पिपरा के पतवा न सजवा बजावे ला से
निठुर बटोही कहाँ जात हो |
मनवा के कोरवं| में यदियो न आवे का
झर झर रोवे बरसात हो ||३||
दादुरा के बोलिया ———-
करिया रतिया जमुनवों से करिया
दिन पर दिन करियात हो |
आवे न चनरमा न भइलीं अंजोरिया
दिन पर देंह पियरात हो ||४||
दादुरा के बोलिया ———-
झिन्गुरा वियोगिया रोवे ला संझवतिया
डाढ डाढ खोजे हर पात हो |
नैनवां के कोरवा भुलइयो के झंकतन
निबिया के पेड़ हहरात हो ||५||
दादुरा के बोलिया ———-
विशेष :— पाठकों द्वारा गीत के भावार्थ देने की मांग की गयी ,अतः प्रस्तुत है ——–
नायिका प्राकृतिक प्रतीकों का अवलंबन लेकर अपने प्रेमी के लिए कहती है कि तुम चले गए ,तुम्हे दादुर और पपीहा बुला रहें हैं ,चाँद मुझे निहार रहा है ,आम,बबूल ,महुआ का साथ कैसे छूटेगा ,खेत की मेड कुंवे की दांती(कुंवांके किनारे लगा पत्थर ) तुम्हे तुम्हे याद कर रहा है |तुम्हारी याद में रात भी रो रही है ,पुरवा हवा में हमारा शरीर थर- थर कांप रहा है पीपल के पत्ते हिल नहीं रहें हैं फिर भी तुम निष्ठुर जा रहे हो | मन के कोने में भी मेरी याद नहीं आ रही है ,यहाँ मुझे देख कर बरसात भी रो रही है | रात भी जामुन /यमुना की तरह काली से काली होती जा रही है ,मेरा प्रिय आ नहीं रहा है |मैं तुम्हारी याद में पीली से पीली होती जा रही हूँ ,झींगुर भी रो रहें हैं ,तुम्हे डाल- डाल, पत्ता -पत्ता खोज रहा है भूल कर भी उन्हें मेरी याद आ जाये तो मेरा जीवन धन्य हो जाये |
Read Comments