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मीडिया , नेता ,डाक्टर

bebaak
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चिकित्सक का कार्य एक सम्मानित कार्य है . यह लोगों को स्वास्थ एवं जीवन प्रदान करता है . पुराने समय के वैद्य समाज सेवा का कार्य ज्यादा करते थे , व्यवसाय का कम . समाज में उन्हें एक सम्मानित स्थान प्राप्त था . किसी भी स्थान पर ,किसी भी मंच पर उन्हें यथेष्ठ सम्मान समाज द्वारा दिया जाता था . समय बदला , जन सेवा का स्थान व्यवसाय ने ले लिया . व्यवसाय धीरे धीरे धंधा में परिवर्तित हो गया लोगों का स्वास्थ एवं जीवन पैसों में तौला जाने लगा . बड़े बड़े माल जैसे हास्पिटल खुल गए . बड़े बड़े विशेषज्ञ डाक्टरों को एक छत के नीचे इकठ्ठा कर लिया गया और जन सेवा का कार्य प्रारंभ कर दिया गया . यह हाल बड़े एवं मझोले शहरों का हो रहा है . ग्रामीण इलाकों में सरकारी हास्पिटल हैं , जहाँ बहुत कम डाक्टर जाना चाहते हैं . जो वहां पोस्ट कर दिए गए हैं वे जाते भी बहुत कम ही हैं . अब ग्रामीण इलाज किससे करावें ? यहीं से झोला छाप डाक्टरों की उत्पत्ति प्रारंभ हो जाती है , बरसाती कुकरमुत्ते की तरह . स्वास्थ विभाग की अनुकम्पा से इनकी पैदावार बढ़ती ही जा रही है . कभी कभी जाँच होती है , लोग पकडे भी जाते हैं ,आगे जाँच चलती रहती है , फिर चारो तरफ शांति . अगले वर्ष फिर वही क्रम चलता है . बीच का समय शांति काल होता है .इस समय रिकार्ड के हिसाब से कहीं कोई झोला छाप डाक्टर नहीं होता है , नहीं कोई पकड़ा जाता है चारो तरफ शांति रहती है , सभी खुश रहते हैं .
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भारतीय प्रजातंत्र में जनता की आवाज़ पहले रेडियो (आकाशवाणी )तथा टी .वी. (दूरदर्शन )पर सुनाई देती थी , वह भी यदि सरकार के विरोध में न हो तो . धीरे धीरे समय बदला .प्रसारण के मैदान में निजी चैनल आये .कुछ कार्यक्रम हिट रहे .प्रस्तोताओं ने अपना चैनल शुरू कर दिया . इससे आकर्षित होकर धन्नासेठ लोग मैदान में आ गए . समाचार के क्षेत्र में निजी चैनलों की भरमार हो गई .सबकी “ब्रेकिंग न्यूज़ ” आने लगी , टी .वी. पर प्रथम बार प्रस्तुत का टैग लहराने लगा .फलां चैनल की खबर का असर , मोटा मोटा दिखाया जाने लगा . यहीं से बाज़ार युद्ध का प्रारंभ हुआ . पाकीज़ा का ठाढ़े रहियो अब मुन्नी बदनाम और शीला की जवानी के आगे ओ लाला को पछाड़ते हुए चमेली की तरफ जा रहा है . इस भागम भाग दुनिया में सभी एक दुसरे का कन्धा छीलते हुए आगे बढ़ने के लिए आतुर हैं .कौन गिर रहा है , किसकी कालर खिंची जा रही है , किसके ऊपर कौन चढ़ रहा है इसकी किसी को परवाह नहीं है . सभी आगे बढ़ने की दौड़ में दौड़ रहे हैं . बंधी हुई नाव में हम रात भर चप्पू चला रहे हैं सुबह होने पर हम वहीँ के वहीँ हैं , बल्कि किनारे की कीचड़ में हम और धंसे जा रहे हैं .
भारतीय प्रजातंत्र में शासन चलाने के लिए जनता अपना प्रतिनिधि चुनती है . चुने प्रतिनिधि अपना नेता चुनते हैं . चुना नेता शासन चलाने के लिए मंत्री चुनता है . चुना मंत्री सचिवालय में अपना विश्वासी अधिकारी चुनता है , क्षेत्र में अपना प्रतिनिधि रखता है ,जो उसके हित का , उनके चाहने वालों के हित का ध्यान रख सके .जनता का जो भी काम हो इनके माध्यम से होता है . सभी काम नियम, कायदा ,कानून के दायरे में होता है. सौ की चीज दस हज़ार में खरीदी जाती है वह भी नियम, कायदे ,कानून के दायरे में रह कर , बाकायदे उसका तर्क भी दिया जाता है . आखिर इसमे बुरा भी क्या है . जिनको अवसर नहीं मिलता है वे लोग ही आलोचना करते हैं .
आजकल स्वास्थ विभाग के ग्रह ख़राब चल रहे हैं . किसी ज्योतिषी से सभी डाक्टरों को अपनी कुंडली दिखा लेनी चाहिए . कोई आत्महत्या कर ले रहा है , किसी की दुर्घटना हो जा रही है और वह काल कवलित हो जा रहा है . किसी अखबार , समाचार चैनल पर यन.आर. .यच. यम .में क्या हुआ , क्या जाँच चल रही है , आखिर घोटाला क्या है , कैसे हुआ , सूत्रधार कौन है ,नियम किसने बनाये , उसका समान पालन क्यों नहीं हुआ , दनादन ट्रांसफर पोस्टिंग क्यों हुई , कहीं भी एक लाइन नहीं लिखा जा रहा है और नहीं दिखाया जा रहा है .सभी चुप हैं , जब पका पकाया मिल जायेगा तब ये अखबार के पन्ने रंगेगे , ब्रेकिंग न्यूज़ दिखायेगें , आखिर इनके भी तो बालबच्चे हैं .
इक्कीस मंत्री रातों रात भ्रष्ट हो जा रहे हैं , कोई मुक़दमा नहीं , कोई वसूली नहीं . बस खाओ ,पीओ , जाहिर हुआ इस्तीफा दो , मामला ख़त्म . हम सुखी, तुम सुखी देश सुखी .घबड़ाने की बात नहीं है , लोग उदहारण प्रस्तुत करते हैं . चारा घोटाला हुआ , क्या हुआ . अब जाकर किसी तरह सोलह साल बाद पहला बयान दर्ज हुआ है . फैसला कब होगा यह तो राम ही जाने . छोटे छोटे प्यादे मार दिए गए . राजा ,रानी , वजीर जिन्दा हैं . गेम चल रहा है .सबको कानून पर विश्वास है .कानून अपना काम कर रहा है .ये तो अपना काम कर ही चुके हैं .
यदि बीमारी में आप डाक्टर के पास इलाज के लिए जांय तो वह दवाईयों के अलावा पथ्य अपथ्य के सम्बन्ध में निर्देश भी देता है . आज के समय में लोगों की रूचि, कार्य व्यवहारएवं सोच को परिष्कृत करने का दायित्व मीडिया पर आ गया है . मीडिया का भी कार्य एक डाक्टर की ही तरह है . उसे भी अपने यहाँ झोला छाप डाक्टरों की पहचान करनी होगी .शालीन, सुसंस्कृत कार्यक्रम का लेखन और प्रसारण करना होगा .साठ के दशक के गाने अब भी याद किये जाते हैं , वैसे ही चैनलों को भी कदम बढ़ाना होगा केवल सनसनी फैलाने वाले समाचारों के लेखन -प्रसारण तक ही सीमित न रख कर खोजी पत्रकारिता से समाधान भी देना होगा . यही समय की मांग भी है . अन्यथा ये खुलते रहेंगे , बंद होते रहेंगे .
डाक्टर कौम कितनी निरीह है . आज ये मर रहे हैं या मारे जा रहे हैं .यदि यह सही है तो इससे यह साफ होता है कि इसके पीछे किसी बहुत समर्थ गिरोह का हाथ है . ये तो बस मोहरे हैं . असली काम तो किसी और ने किया है . इसका एक उपाय है. यन. आर .यच. यम .में बहुत बड़ी मात्रा में ख़रीदे हुई हैं . इसकी जांच वाणिज्य कर विभाग ने अभी तक नहीं किया है . यदि इन खरीदों कि सूची वाणिज्य कर विभाग एवं आयकर विभाग को उपलब्ध करा दी जाय तो अधिकतम पंद्रह दिनों के अन्दर पुरे उ .प्र. में की गई खरीदों की पूरी जांच हो सकती है . इससे तमाम फर्जी फर्में पकड़ में आ सकती हैं तथा कर चोर फर्मो का पता चुटकियों में लगाया जा सकता है और वास्तविक घपला करने वाले व्यक्ति तक पहुंचा जा सकता है . परन्तु इतने बड़े घोटाले की वास्तव में कहा जाय तो अभी जांच ही प्रारंभ नहीं हो सकी है . जैसा कि ज्ञात हुआ है कि वाणिज्य कर विभाग , सरकारी विभागों में हुई खरीदों की जाँच और सत्यापन नियमित रूप से करता रहा है परन्तु अभी तक इस प्रकरण में जांचनहीं की गई है , यह सोचनीय तथा दुर्भाग्य पूर्ण है . देखिये सरकार अपने राजस्व के लिए कब चेतती है , वर्ना इसका भी हस्र चारा घोटाले की तरह ही होगा .
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आदरणीय जे .जे . महोदय ,
आपने टाप ब्लाग में समय का बदलाव किया आपका बहुत बहुत धन्यवाद . बस एक अनुरोध और है कि आपसे कुछ भी निवेदन करने के लिए ब्लाग का सहारा लेना पड़ता है , यदि आपसे अनुरोध करने की कोई सीधी व्यवस्था हो सके तो मैं समझता हूँ किसभी ब्लागर बंधुओं को अपनी बात आपके समक्ष रखने में प्रशन्नता होगी और हमारा जागरण जक्शन और भी अच्छा होता जायेगा .
आदर सहित
कृष्णा श्री

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