Menu
blogid : 5699 postid : 987

जिंदगी के रूप

bebaak
bebaak
  • 113 Posts
  • 1683 Comments

गाँव की छवर
खेतों के मेड़ ,
उबड़ -खाबड़ पगडंडी पर
एक दुसरे से टकराती ,
सुख- दुःख में शरीक
रेंगती ,सरकती , लरजती जिंदगी !
शहर की सर्पीली गलियों में –
कदम -कदम पर अंधे मोड़ ,
राज मार्गों के
चौड़े रास्ते पर –
एक दुसरे से बेखबर
सरसराती , लहराती
भागती, इठलाती जिंदगी !
गाँव की नदियों- नालों में
घुटने भर पानी के बीच
उजबुजाती , छट पटाती , शरमाती
जिंदगी !
बाढ़ में शहरी पुलों पर
मूंगफली, चाय ,समोसे
रंग बिरंगे गुब्बारे के बीच
विहंगम दृश्यावलोकन करती
भीड़ में
खिलखिलाती जिंदगी !
बागों के बीच
धुप छाँव से बनी
उषा के आँचल में
शबनम सी टंकी
महकती -महकाती ,मदमाती
जिंदगी !
रेत में
बनती बिगड़ती ,
पहाड़ों पर
गेंद सी लुढ़कती ,
बचपन सी अबोध
दुलराती- तुतलाती जिंदगी !
चन्दन के पेड़ पर
लिपटे भुजंग सी
परदेशी प्रियतम के
छूटते अंग सी
रहेगी फड फ डाती जिंदगी !
जिंदगी का नाम
कुछ भी दे लें
मौत के आगोश में
रहेगी मुस्कराती
जिंदगी !!!

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply