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ये तो होना ही था —–_–_–

bebaak
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यह आभासी दुनिया भी बड़ी अजीब चीज है . यहाँ कुछ का कुछ दिखाई देता है . हाथी को घोड़े की पूंछ और घोड़े को चूहे की पूंछ लगी होती है .यहाँ न तो कोई बड़ा होता है और नहीं छोटा .सभी अपनी शक्ति- अनुसार , अपनी सोच अनुसार परवाज़ कर रहे होते हैं , फिर भी कुछ अपने को तोपखाना समझते हैं . कवि, लेखक ,कहानी कार , आलोचक ,समीक्षक ,टीकाकार सभी विश्व में शांति की कामना करते हैं , विकास की बात करते हैं , परन्तु जब आभासी दुनिया में शांति हो तो इन्हें खलती है ,कुछ मज़ा नहीं आ रहा है , ऐसी सोच प्रस्फुटित होती रहती है .
कला, साहित्य ,संस्कृति का विकास सदैव उस देश के शांतिकाल में होता है , यही हालत इस आभासी दुनिया की भी है .कितनी अच्छी कवितायेँ , कितने अच्छे लेख , कितनी अच्छी समालोचनाएँ ,लगातार आ रही थीं , पढ़ने का मन करता था ,कुछ कहने का मन करता था .परन्तु दुर्भाग्य देखिये तीन- चार दिन के अंतराल में यहाँ क्या से क्या हो गया .एक लेखक का लेख फीचर्ड नहीं हुआ तो जैसे सुनामी आ गई , उनके चाहने वाले सभी अपना -अपना बोरिया -बिस्तर समेटने की धमकी देने लगे हैं. कहीं इनकी भी हालत बाबा की बकरिया के मनाने जैसी न हो जाय .
मैं भी जब यहाँ आया था तो बड़ा अजीब महसूस हुआ था . कुछ नए और पुराने लोगों ने मेरी बात की तस्दीक भी की थी .मैंने अपने दो लेखों में कुछ सुझाव भी दिया था .जे जे महोदय ने उनमें से एक तो मान लिया. अब टाप ब्लॉग जल्दी जल्दी बदलने लगा ,जिससे उन लेखकों को पाठक संख्या भी मिलने लगी .आज व्यक्ति के पास समय कम है ,वह कम समय में अधिक से अधिक पा लेना चाहता है .फीचर्ड होने से जे जे को खोलते ही वह आ जाता है . सम्पादक मंडल द्वारा चुने अच्छे लेखों की जानकारी भी हो जाती है .मेरे विचार से जे जे की सबसे बड़ी कमजोरी ज्यादा चर्चित ब्लाग का होना है . इसमें भी वे सभी बुराइयाँ आ गई हैं जो जो भारतीय प्रजातंत्र के वोट पद्धति में हैं . यदि जे जे महोदय उचित समझें तो ज्यादा चर्चित कालम को खत्म करके सप्ताह के टाप ब्लाग या माह के टाप ब्लाग का एक कालम तथा दैनिक जागरण में प्रकाशित ब्लाग का कालम अलग से बना दें , जिसमे दस लेख /रचनाएँ रहें जिनका चयन सम्पादक मंडल द्वारा किया जाय .इससे अच्छे लेखों को प्रोत्साहन मिलेगा और उन्हें अधिक पाठक भी मिलेगें .तथा मंच पर उमड़ रहा असंतोष भी समाप्त होगा . जिसको प्रतिक्रिया देनी होगी वह तो देगा ही .
अंत में स्नेही आकाश तिवारी जी के ” आदरणीय शाही जी जरुर पढ़ें ———” दिनांक २७ -०२ -२०१२ पर श्री चातक जी ,जैक जी ,मनोज जी ,जमुना जी ,तमन्ना जी , प्रदीप कुशवाहा जी इत्यादि ने जे जे की भूल को केवल मानवीय भूल मान कर मामले को समाप्त करने का अनुरोध किया था . इस लेख पर श्री शाही जी की प्रतिक्रिया के कुछ अंश उद्दृत करने की अनुमति चाहूँगा जिससे इस मंच के लोग आदरणीय शाही जी के विचार भी पढ़ सकें , उस पर विचार भी कर सकें , मनन भी कर सकें तथा नीर क्षीर विश्लेषण भी कर सकें ,
.
” आप जैसे भाव प्रवण रचनाकारों को ठीक वैसे ही लोगों को उपदेश देते देख रहा हूँ जिनके अस्तित्व पर ही मुझे संदेह रहा है . यानी अंडा सिखाये बच्चे को कि बेटा चूं -चूं कर .-_-_——–.
ये अंडे टाइप के बदबूदार और बिके हुए या पालतू तथा कथित ब्लागर्स आपको शिक्षा देने और कल को आपको फालो करने की बजाय अपने लटकों झटकों से आपको अपना फालोवर न बना सकें . ———-.

ये सब निहित स्वार्थी तत्वों के अंडज और पिंडज हैं इन्हें दूर रखेगे तो सभी का विकास होगा ——–.

अब आपको फैसला करना है कि क्या आप अंडज में आते हैं या पिंडज में ???? क्या शुद्ध हिंदी है ? गाली भी दिया तो चाशनी में भिगो कर .

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