Menu
blogid : 5699 postid : 1011

हार बनी है जीत

bebaak
bebaak
  • 113 Posts
  • 1683 Comments

सांझ सबेरे मिला अँधेरा
मिला न कोई मीत /
झूठी जग की प्रीत/*
*/.
दीप जलाया, बाती जल गई
परदेशी की पाती छल गई
बंशी के उस बंद छिद्र से
बजा न कोई गीत /
झूठी जग की प्रीत/*

*/.
उषा रजनी चढ़ती ,ढलती
नित नव जीवन गढ़ती- बढ़ती
जीवन कहीं , कहीं नश्वरता
यही है तेरी नीत /
झूठी जग की प्रीत/*

*/.
पवन सुगंध बहा ले जाए
झुक- झुक डाली शीश नवाए
आया बैठा, चला कहाँ तू
वाह रे तेरी रीत /
झूठी जग की प्रीत/*

*/.
लहर किनारा ढूंढ़ न पाती
सागर में पागल मिट जाती
मिटती बनती चली किनारे
हार बनी है जीत /
हाँ –
हार बनी है जीत/*

*/.
वृक्षों ने हैं पात उतारे
अंतर्मन को चलो बुहारे
जीवन के हर रंग हो सुन्दर
लाल हरित औ पीत/
हार बनी है जीत/*

*/——जागरण मंच के सभी सदस्यों को होली की हार्दिक शुभकामनाएं .

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply