bebaak
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सांझ सबेरे मिला अँधेरा
मिला न कोई मीत /
झूठी जग की प्रीत/*
*/.
दीप जलाया, बाती जल गई
परदेशी की पाती छल गई
बंशी के उस बंद छिद्र से
बजा न कोई गीत /
झूठी जग की प्रीत/*
*/.
उषा रजनी चढ़ती ,ढलती
नित नव जीवन गढ़ती- बढ़ती
जीवन कहीं , कहीं नश्वरता
यही है तेरी नीत /
झूठी जग की प्रीत/*
*/.
पवन सुगंध बहा ले जाए
झुक- झुक डाली शीश नवाए
आया बैठा, चला कहाँ तू
वाह रे तेरी रीत /
झूठी जग की प्रीत/*
*/.
लहर किनारा ढूंढ़ न पाती
सागर में पागल मिट जाती
मिटती बनती चली किनारे
हार बनी है जीत /
हाँ –
हार बनी है जीत/*
*/.
वृक्षों ने हैं पात उतारे
अंतर्मन को चलो बुहारे
जीवन के हर रंग हो सुन्दर
लाल हरित औ पीत/
हार बनी है जीत/*
*/——जागरण मंच के सभी सदस्यों को होली की हार्दिक शुभकामनाएं .
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