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जिंदगी हर तरह तमाम हुई !!!

bebaak
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रात छुप कर जो कटी
सुबह सरे आम हुई /
जिंदगी हर तरह तमाम हुई/*
*/.
रात की नींद से बोझिल पलकें ,
खोल रही आँख,भरे जाम छलके ,
तेरे घटते हुए साए के तले
रात की रागिनी नाकाम हुई /
जिंदगी हर तरह तमाम हुई/*
*/.
टेसुओं के फूल की चटखी कलियाँ ,
मौत भी अलसाई चीख उठीं गलियाँ ,
खिड़कियों में फसे बालों में
लालिमा डूब गई, फिर वही शाम हुई /
जिंदगी हर तरह तमाम हुई/*
*/.
टूटे घोसले छितरे छत्ते ,
शाम के साए में हिलते पत्ते ,
कली के लरजते आँचल में
टूटी साँसे उन्हें आराम हुई /
जिंदगी हर तरह तमाम हुई/*
*/.
बैठे थे हर तरफ नशा बन कर ,
चमकती चाँदनी में वे पल भर ,
मंच पर आते ही मुंह फिराए वे
चले गए , रात यूँ बदनाम हुई /
जिंदगी हर तरह तमाम हुई/*

*/

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