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कोयले की कोठरी

bebaak
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भारतीय जन मानस इस समय अंतर्द्वंद से जूझ रहा है .प्रत्येक इकाई भ्रष्टाचार से पीड़ित है .अकेले अकेले विरोध नहीं कर पा रही है . भ्रष्टाचार के दल -दल में जाने अनजाने कूदने के लिए भी अभिशप्त है .कोई तारणहार नज़र नहीं आ रहा है .अन्ना हजारे की तरफ हजारों आँखें उठी परन्तु उनकी टीम भी राजनैतिक महत्वाकांक्षा से ग्रस्त है बाबा रामदेव जैसे सन्यासी ने आन्दोलन का विगुल फूंका . लोग जुड़ते गए , जुड़ते गए . कुछ लोग दूर से ही आन्दोलन का समर्थन करते हुए सशंकित दृष्टि से आन्दोलन का हस्र देखते रहे , तो कुछ लोग सोचते ही रह गए किबाबा कह तो ठीक रहे हैं परन्तु आज के राजनैतिक माहौल में वे कहाँ तक सफल होंगे .
अब प्रश्न उठता है कि आखिर काला धन है क्या , जिसको लेकर इतनी हाय तौबा मची हुयी है . मोटे तौर पर वह लुटा हुआ , कमाया हुआ ऐसा पैसा जिस पर नियम से सरकारी डेय को न दिया गया हो . हम आप सभी किसी न किसी रूप में काला धन का निर्माण करते हैं या निर्माण होने में सहयोग करते हैं . जब आप बाज़ार में कुछ भी खरीदने जाते हैं तो दूकान दार से बिल या कैशमेमो नहीं लेते . सामान लेते हैं और पैसा देते हैं . दुकानदार कहता है कि बिल लीजिएगा तो वैट देना पडेगा , हम पीछे हट जाते हैं . यहीं से काला धन का निर्माण प्रारंभ हो जाता है , भले ही वह छोटे रूप में ही क्यों न हो .इसी तरह ट्रांसफर , पोस्टिंग ,ठिका लेने देने में , नियम बनाने में भ्रष्टाचार किया जा सकता है . जो पैसा देकर ट्रांसफर -पोस्टिंग कराएगा वह अपनी नौकरी के दौरान उस पैसे को निकालने का भी प्रयास करेगा ही .बस यहीं से छोटे भ्रष्टाचार से बड़े भ्रष्टाचार का पहिया घूमने लगता है और काला धन का निर्माण प्रारम्भ हो जाता है . छोटे लोग यदि करते हैं तो वह देश में ही रहता है .इसकी जांच के लिए प्रांतीय तथा केन्द्रीय सरकार कि तमाम एजेंसियां हैं ,जो समय समय पर जांच करती रहती हैं . और लगाम लगाती हैं परन्तु बड़े बड़े भ्रष्टाचार , व्यापार से निर्मित काला धन विदेशों में जमा करा दिया जाता है . इसका सबसे बड़ा फ़ायदा यह है कि वहां देश कि सरकार कोई जांच नहीं कर सकती . अब कुछ देशों से समझौता किया जा रहा है परन्तु पहले के जमा काले धन कि कोई चर्चा नहीं है .और नहीं उसे वापस लाने का कोई प्रयास ही हो रहा है .
चूँकि सरकार के जरुरी देयों का भुगतान न करके उसे विदेशी बैंकों में येन केन प्रकारेण जमा करा दिया गया है , परन्तु उस पर सरकारी देयों की देनदारियां तो बनती ही हैं . अब प्रश्न उठाता है कि यदि यह धन देश में रहता तो सरकार अपनी एजेंसियों के माध्यम से उनका पता लगा लेती , उसे जब्त कर सकती थी , उस पर जुर्माना लगा सकने का भी अधिकार रखती थी . यही धन जब विदेशों में जमा करा दिया जाता है तो भी सरकार को अपनी लेनदारियां वसूलने का अधिकार तो रहता ही है . जब वह सरकारी देयों का बिना भुगतान किये जमा किया गया है तो सरकार उस धन को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित करने का भी अधिकार रखती है ., फिर क्यों नहीं उसे राष्ट्रिय संपत्ति घोषित किया जा रहा है ?यह विचारणीय प्रश्न है . सरकारों की कौन सी कोर ऐसा करने से दब रही है . स्पष्ट है कि इनके रहते यह संभव नहीं है .
भारत सरकार से छुपा कर विदेशों में जमा काला धन को जहां तक लाने का प्रश्न है , इसके लिए कानून बनाना पड़ेगा और कानून भारतीय प्रजातंत्र में संसद सदस्यों द्वारा ही बनाया जा सकता है भले ही उनमें से बहुत से दागदार छवि के हों परन्तु कानून तो वही बनायेंगे !बाबा रामदेव बहुत सी पार्टियों को विदेशों में जमा काला धन के मुद्दे पर एक जगह इकट्ठा करने में सफल हुए हैं भले ही वे कुछ समय के दिखावे के लिए ही हाँ में हाँ मिलाने वाले साबित हुए हों .
सरकारी काम में जहां भी स्वविवेक कि बात आती है वहां से ही भ्रष्टाचार पनपने का अंदेशा प्रारम्भ हो जाता है . चाहे वह किसी अधिकारी द्वारा हो या फिर चाहे किसी सरकार या मंत्री के द्वारा हो . जितने भी बड़े भ्रष्टाचार हुए हैं वे इसी प्रथा के लघु रूप हैं .व्यापारी तो व्यापारी है , उनका काम ही है लाभ कमाना . वे सरकार कि नीतियों का ही फ़ायदा उठाते हैं और अपने व्यापार को वैसी दशा एवं दिशा देते हैं. इसमें व्यापारी कहा दोषी है . दोषी तो वे हैं जो नियम बनाते हैं , पालन करवाते हैं .जब बाड़ ही खेत को खाने लगे तो उस फसल का भगवान ही मालिक है .
भोजपुरी में एक कहावत है “बेहया के रुख जामल कहे कि छाँह ही ह “यानी गन्दगी में सने हैं और कहे कि मजे में हैं . क्या आपको नहीं लगता कि ये कथित प्रवक्ता बेहयाई की सभी सीमाएं लांघ चुके हैं ?सभी में गलत को सही साबित करने की होड़ लगी है .जोर -जोर से बोल कर अपना कद बढाया जा रहा है . एक कह रहा है कि कोई कोयला घोटाला नहीं हुआ है , दूसरी तरफ कोल ब्लाक आवंटन रद्द किया जा रहा है, सी . बी.आई . जगह जगह यफ .आई .आर . दर्ज कर रही है कोई कह रहा है कि जिस तरह जनता बोफोर्स घोटाले को भूल गई उसी तरह कोल ब्लाक आवंटन को भी भूल जायेगी , क्या तर्क है ?इन्हें तो भारतीय जनमानस के ऊपर की गई इस नई खोज के लिए भारत रत्न दिया जाना चाहिए .अब भारतीय जन मानस को यह सोचना ही पडेगा कि नेताओं कि इन बातों में कितनी सच्चाई है क्या हम मार खाते रहेगें और कहते रहेंगे ” अबकी मारा तो मारा आगे मारोगे तो देख लेंगे “. अब निर्णय लेने का समय आ गया है . जो इसमें खुद लिप्त हैं वे इसके विरुद्ध कानून क्या ख़ाक बनायेगें .रुकिए , देखिये , सोचिये .जात -पात , क्षेत्रवाद ,उंच -नीच , अमीर- गरीब से ऊपर उठ कर आपको किधर जाना है . यही सही समय है ,निर्णय लेने का .इस दीपावली पर सोच समझ कर निर्णय लीजिये .आपकी सोच ही देश को नई दिशा देगी .अपने घर को साफ -सुथरा करने के साथ ही आइये देश को भी साफ -सुथरा करें और रक्खें . सबको शुभदीपावली ..

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