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आप ,हम और देश

bebaak
bebaak
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चले गए छोड़ कर ,
मोह सभी तोड़ कर ,
देश किस तरह चले
गोलियों को छोड़ कर /
.
बाँट लगती जा रही ,
भींड बढ़ती जा रही ,
मुझको क्या मिलेगा अब
शोर मचती जा रही /
.
हर जिला स्वतन्त्र है ,
बांटना ही मन्त्र है ,
देश भाषा में कटे
यही राजतंत्र है /
.
थैलियों की चाह है ,
तालियों की वाह है ,
वे सफेद बन गए
कालिमा अथाह है /
.
भाषणों की राह में ,
शब्द के बझाव में ,
मन्त्र मुग्ध सब हुए
देश के कटाव में /
.
आन्दोलन भूल है ,
अहिंसा अब सूल है ,
घेराव महा मन्त्र है
इसी से सब वसूल है /
.
पोस्टरों पर है लिखा ,
प्यार की नज़र दिखा ,
छोड़ कर मन मुटाव
विश्व बंधू बन सिखा /
.
सत्य पर अड़े रहो ,
जुल्म से लड़े रहो ,
उफ न मुंह कहे कभी
आग में खड़े रहो /
.
धीरता मन में रहे ,
वीरता तन में रहे ,
धीर हम कायर नहीं
बात सब “गांधी” कहे /
.
लिखा देख हंस दिए ,
व्यंग सभी कस दिए ,
फाड़ दो उतार कर
बेतुकी जो लिख दिए /
.
शताब्दी मने गांधी का ,
तिनका ज्यों आंधी का ,
फटा चित्र रो रहा
भारत के मांझी का /

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