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समाज के आर्थिक एवं सामाजिक रूप से पिछड़े व्यक्तियों को अवसर प्रदान करने हेतु आरक्षण का प्राविधान किया गया है . इस बात से सभी सहमत हैं किजातियों का प्रादुर्भाव बहुत बाद में हुआ है और यह सामाजिक बुराई के रूप में चिन्हित किया जाता रहा है . बड़े बड़े संत -महात्माओं ने इसका विरोध किया और अब भी किया जा रहा है इसी विषय पर मैंने अपना ब्लॉग “जातिवाद और धनबल की बात क्यों चुनाव के समय ही याद आती है “भी लिखा था . आज इसी बुराई को और बढाने हेतु आरक्षण का प्राविधान किया जा रहा है तथा अब और भी बढाने हेतु आरक्षण को विस्तार देने का प्रयास किया जा रहा है ,क्योकि २०१४ में चुनाव आने वाला है .यदि जाति प्रथा हिन्दू समाज की एक बुराई है तो फिर उसे और भी दृढ़तर करने का प्रयास शासन द्वारा क्यों किया जा रहा है जबकि रुढियों को तोड़ने का यह एक समीचीन अवसर है .आरक्षण से जुड़े बहुत से सवाल घुमड़ते रहते हैं जिनका आज तक कोई उत्तर नहीं मिला . यदि आपको ज्ञात हो तो कृपया उत्तर देने का कष्ट करिएगा , बड़ी कृपा होगी .
१.क्या पुरे वर्ग विशेष को आरक्षण दिया जाना उचित है , जबकि आरक्षण की मंशा पिछड़ों को बढाने की है तो आरक्षण वर्ग विशेष के सामाजिक , आर्थिक रूप से विकसित लोगों को क्यों ?
२-जब आरक्षण का मतलब सामाजिक न्याय बताया जा रहा है तब एक सामाजिक ,आर्थिक रूप से विकसित वर्ग में भी पिछड़े लोग होंगे तो उन्हें आरक्षण क्यों नहीं ?
३- क्या आरक्षण का मतलब किसी वर्ग विशेष , समुदाय विशेष ,या व्यक्ति विशेष को जबरदस्ती आगे बढ़ाना है , चाहे योग्यता हो या न हो ?
४-आरक्षण का मतलब यदि व्यक्ति, समुदाय ,वर्ग विशेष को आत्मनिर्भर बनाना है तो फिर आरक्षण जन्म जात क्यों ?
५-एक समृद्ध व्यापारी , बड़े नेता , आर्थिक रूप से संपन्न व्यक्ति ने आरक्षण का उपयोग किया तो फिर उनके पालितों को आरक्षण क्यों ?
६-आज आरक्षण लागू होने के बाद केवल एक वर्ग को आरक्षण क्यों , गरीब व्यक्ति को आरक्षण क्यों नहीं ?
७ -जनसंख्या के आधार पर कोटा मांगना क्या जनसंख्या वृद्धि को बढ़ावा नहीं देता ? क्या वर्ग विशेष नहीं सोचता किजीतनी जनसंख्या हमारी होगी , हमारी गलत बात भी उतनी मानी जायेगी ?
८-दो बच्चों से ज्यादा के माता -पिता को आरक्षण के लाभ से क्यों नहीं वंचित किया जाता है ?
९-आरक्षण की एक समय सीमा निर्धारित है तो आखिर क्या कारण है कि उस समय सीमा को बार बार क्यों बढाया बढाया जा रहा है ? क्या यह सरकारी नीतियों की विफलता के कारण हो रहा है ? यदि नहीं तो क्या यह राजनीति से प्रेरित नहीं है ?
१० -जब पुलिस की भर्ती में आरक्षण है तो सेना , अर्धसैनिक बलों की भर्ती में आरक्षण क्यों नहीं ? क्या सेना कमजोर हो जायेगी ?यदि हाँ तो फिर देश को क्यों कमजोर किया जा रहा है , आरक्षण से ?
११ – यदि आरक्षण का मतलब सामाजिक न्याय दिलाना है तो फिर वर्ग विशेष न होकर एक स्तर के व्यक्ति होने चाहिए , क्या यह उचित नहीं होगा ?
१२ -अल्पमत की सरकार का निर्णय पुरे देश पर जबरदस्ती थोपा जाय , क्या इस पर राष्ट्रीय स्तर पर बहस जरुरी नहीं है ?
१३ – क्या इस आरक्षण नीति से एक समुदाय विशेष में सुविधा भोगी एक ख़ास वर्ग पैदा नहीं हो गया है जो आरक्षण का उपभोग कर रहा है और जरुरत मंदों को आरक्षण सुविधा का लाभ नहीं मिल पा रहा है ?
१४ – क्या सरकार अपनी आरक्षण नीति से सभी सुविधा भोगी समुदायों में पुराने जमींदारों की तरह एक सशक्त वर्ग नहीं पैदा कर रही है जो उस वर्ग में प्रभाव बनाए तथा कमजोरों पर शासन करे और सुविधा का उपयोग करे ?
१५ -क्या सरकार की नीति से समाज की कमजोर इकाई लाभान्वित हो रही है या उस वर्ग की समृद्ध इकाई ही उसका लाभ ले रही है ?
१६ – जब एक निबल परिवार रोजी रोटी के प्रयास में ही लीन रहेगा तो उस वर्ग के समृद्ध लोग आरक्षण का लाभ ले लेगें वह इकाई तो और भी गरीब होती जायेगी , क्या यह उचित है ?
१७ – आरक्षण गरीब को और गरीब बनाने की योजना की एक सोची समझी रणनीति है . गरीब इकाई के पालितों को आत्मनिर्भर होने के लिए पढ़ने -लिखने , खाने -पीने की सभी सुविधाएं सरकार क्यों नहीं देती ताकि वे किसी भी प्रतियोगिता में सफल हो सकें . उन्हें केवल सुविधा भोगी न बनावे , क्या यह उचित नहीं होगा ?
१८ – वर्ग विद्वेष को न भड़काया जाय , समाज को टुकड़ों में न बांटा जाय . देश को एक करने के लिए आरक्षण पढ़ाई -लिखाई , खाने -पीने एवं अन्य सुविधाओं में दिया जाय , फिर खुली प्रतियोगिता के लिए उन्हें छोड़ दिया जाय , क्या यह उचित नहीं होगा ?
१९ – क्या देश हित के इस मामले को प्रेस ने ठीक ढंग से उठाया है ? यदि नहीं तो प्रेस डर क्यों रहा है ?
२० – क्यों आरक्षण सुविधा पाए लोग सता संचालक वर्ग में शामिल होकर पुनः आरक्षण सुविधा का लाभ ले रहे हैं ?यह आरक्षण चाहने वाले गरीब लोगों के साथ अन्याय नहीं है क्या ?
२१ – गरीब की जाति कौन सी होती है ? दो जून की रोटी या कुछ और ?
२२ – विश्व के किस भाग में जाति आधारित आरक्षण है ?भारत में इतने दिनों तक क्यों ?
२३ – क्या सरकार समुदाय विशेष में हीन भावना उत्पन्न नहीं कर रही है ?
२४ – पुनः और पुनः आरक्षण सुविधा का लाभ एक समुदाय विशेष में क्या एक वर्ग नहीं ले रहा है ?
२५ – क्या आरक्षण सुविधा पाए व्यक्ति की अपने समुदाय के प्रति जिम्मेदारी नहीं है ? यदि वे आरक्षण सुविधा का लाभ कई बार ले चुके हैं तो क्या वह उस समुदाय के प्रति गद्दारी नहीं है ?
२६ – आरक्षण सुविधा पाए संवर्ग के वेतन का १०%कटौती कर क्यों नहीं एक फंड बनाया जाता जो गरीबों के हित में खर्च हो , क्या यह उचित नहीं होगा ?
२७ -आरक्षण कितनी बार दिया जाना न्यायोचित है ? पढ़ाई के समय , प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के समय ,प्रतियोगी परीक्षा में चयन के समय . अब प्रमोशन में भी आरक्षण . क्या यह नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत के अनुकूल है ?अथवा केवल वोट की राजनीति की जा रही है ?
२८ क्या प्रमोशन के हर चरण में आरक्षण दिया जाना उचित है ?
पुनः आप सभी से अनुरोध है कि यदि उक्त के जवाब आपके पास हों तो अवगत कराने की अनुकम्पा दर्शाने की कृपा करें . धन्यवाद .
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