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टी.वी. विज्ञापन में एक उभरता क्रिकेट खिलाड़ी लड़की पटाने के आसान तरीके बता रहा है . इसी प्रकार जे .जे. पर ज्यादा पठितमें दर्शित लेखों से लोगों की मानसिकता को रेखांकित किया जा सकता है . समाज की सोच , ख़ास कर युवा वर्ग की सोच कम श्रम में या बिना श्रम के अधिक से अधिक हासिल करने की प्रवृति बढ़ती चली जा रही है . दूसरी तरफ महिला वर्ग को शिक्षा की छूट मिलते ही उन्हों ने अधक से अधिक उंचाई तय करने की ठान ली है और वे उंचाई की और अग्रसर होती जा रही हैं . भारतीय समाज को विकास के मापदंडों में उंचा करने का श्रेय इन महिलाओं को दिया जाना उचित होगा . आज जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में महिलायें आगे बढ़ी हैं और आगे बढ़ रही हैं , यदि यही क्रम रहा तो वे आगे बढ़ती ही जायेगीं . जो भारतीय समाज के लिए एक शुभ संकेत है प्राइवेट कम्पनियां लड़कियों , महिलाओं को ज्यादा से ज्यादा लेना चाहती हैं क्योंकि उनमे योग्यता भी है और लगन भी , जिससे कंपनी को फ़ायदा ही फ़ायदा होता है . आज नारी शक्ति ने अपनी शक्ति पहचानी है . भारतीय नारी समाज आज सच्चे रूप में उद्वेलित है . अपनी राह ढूंढ़ रहा है अपनी पहचान बनाने को उत्सुक है . एक चिंगारी ने भीषण आग का रूप ले लिया है अब नारी अपने को एक वस्तु मानने को तैयार नहीं है . वह अपनी पहचान पाने को संघर्ष रत है आज भारतीय समाज में पहली बार स्त्री विमर्श इतने विस्तृत एवं सार्थक रूप में जोर पकड़ रहा है . मैं उस चिंगारी को जिसने आज भीषण आग का रूप ले लिया है , नमन करता हूँ और अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ .
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बचपन के झूलों पर,
नदियों के कूलों पर ,
धीरे धीरे बड़ी हुई
शबनमसंग फूलों पर /
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मम्मी के प्यार में,
पापा के दुलार में ,
इज्जत घर की बनी
इस भरे संसार में /
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सखियों संग सावन में ,
भैया की बाहों में ,
घूमती ,इठलाती
गाँवों की राहों में /
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छोटे शहर से आई,
खुशियाँ तमाम छाई ,
स्कुल से कालेज तक
जारी रही पढ़ाई /
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काली उस रात को ,
अश्रु की बरसात को ,
कैसे भुलाऊं अम्मा
भेड़ियों की बात को /
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तार -तार आँचल में ,
घर के उस सांकल में ,
कैसे धकुं मैं तन
मम्मी के आँचल में /
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पंख कटी चिड़िया सी ,
करती रही गुहार ,
कोई कृष्ण आयेगा
सुन कर मेरी पुकार /
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मैं नववर्ष नहीं मना रहा हूँ अतः किसी को बधाई नहीं दे रहा हूँ . धन्यवाद .
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