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छोटे बाबू ::एक मशीन

bebaak
bebaak
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उठो चार बज गया —
मुन्ना जी !
अभी तुम सोते हो ,
जबकि पहुँचना है
मंजिल पर तेजी से ,
जिंदगी के रास्ते में
समय क्यों खोते हो ?
.
अरे सात बज गया —
मुन्नू की अम्मा क्यों
चुल्हा जला नहीं ,
सब्जी क्या लानी है
चाय तो बनी नहीं /
.
अब समय हो गया
दफ्तर में जाने का ,
खाना अब रहने दो
समय हुआ
सिटी बस आने का /
.
हाय साड़े दस बजा !
छोटे बाबू आप भी
इतनी जल्दी आते हैं
समय तो है बहुत अभी
आफिस को घर पर ही क्यों
लेते नहीं जाते हैं /
.
भला पांच भी बजा —
बेबी की अम्मा ज़रा
पानी दो एक गिलास ,
हाथ है बझा हुआ
पानी है गगरी में
ऊपर गिलास रखी
लेकर के पिलो न /
.
हाय सात बज गया —
सुनते हो
मुझको भी सैंडिल एक
लाला की औरत सा
चल कर खरीद दो
बाटा से /
.
भला नौ भी बजा —
पापा जी यह सवाल
कैसे लगायेंगे ?
देखूं तो कौन सा
मास्टर जी से पूछना ,
छोड़े भी दिन हुआ
अपनी पढाई को /
.
टन -टन बारह बजा —
नीद नहीं आती है
मच्छर के भन -भन से
अरे नहीं
मुन्नू और बेबी की फीस
और राजू के दूध का
किराया मकान का
सब कुछ अभी बाकी है/*

*/

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